वजन बढ़ायें-चर्बी घटायें :
अगर व्यक्ति के वजन का संतुलन बढ़िया हो, तो वह व्यक्तिगत रूप से तो आकर्षक लगता ही है, साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से भी स्वस्थ रहता है।
वजन बढ़ाने से मतलब केवल मोटापा या चर्बी बढ़ा लेना नहीं होता। वजन व्यक्ति की हाईट के मुताबिक सही संतुलन में होना आवश्यक होता है। जब बात वजन बढ़ाने की हो, तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शरीर में मांस की वृद्धि हो, शरीर हृष्ट-पुष्ट हो, शक्ति की वृद्धि हो, लेकिन केवल चर्बी की वृद्धि हो जाये, ऐसे योगों का प्रयोग नहीं करें। चर्बी की वृद्धि होने से मोटापा रोग हो जाता है। जो अनेक रोगों का घर है।
बिना मोटापा बढ़ाये यदि आप वजन बढ़ाना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे-
1. रोगी अपना वजन कम होने का कारण डाॅक्टर से ज्ञात करें। डाॅक्टर आपके शरीर का परीक्षण, निरीक्षण एवं आवश्यक पैथोलाॅजिकल परीक्षण के बाद मूल कारण को खोज निकालेंगे एवं तदानुसार डाॅक्टर के निर्देशों का पालन करें।
2. यदि पूर्ण परीक्षण से प्रमाणित हों कि आप पूर्ण स्वस्थ होते हुए शरीर से कृश हैं और शरीर में पोषक तत्वों की कमी है। आप अपने खानपान में भी परिवर्तन लायें। आहार में पौष्टिक एवं सुपाच्य खाद्यों एवं पेयों का प्रयोग करें।
3. यदि अरूचि हो तो अरूचिनाशक औषधियां अदरक का अचार आदि खायें। याद रखें बहुत अधिक आहार खाने से मोटे होंगे, यह आवश्यक नहीं है। इस भ्रम में ठूंस-ठूंस कर खाना खाने की आदत डालना उचित नहीं है।
Charbi Nahi Vajan Badhega, Bas Karen Ye Upay
4. खाना निश्चित समय पर खायें, खूब भूख लगने पर ही खायें और 1-2 ग्रास और खाने की इच्छा होते ही खाना बंद कर दें। यह मात्र हृष्ट-पुष्ट होने के लिए ही नहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अनुकूल है।
5. अपने आहार के संबंध में मात्रा से अधिक आहार के गुण, उसमें विद्यमान पोषक तत्व और अपने पाचन संस्थान के अनुरूपता पर विचार करें।
6. इस दृष्टि से स्टार्चयुक्त और चिकनाई युक्त आहार अन्य की अपेक्षा अधिक उपयुक्त है। इसी प्रकार के आहार अपने भोजन में लें। एक तिहाई ऐसे आहार के अतिरिक्त शेष दो तिहाई भाग में सब्जी और फल अवश्य लें।
7. आयु, कद और weight के अनुपात से प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक कैलोरीज की मात्रा निर्धारित है। आपको अपने लिए निर्धारित कैलोरीज से अधिक कैलोरीज लेनी चाहिए। यह अतिरिक्त कैलोरीज के लिए, लिए गये आहार का पोषक तत्व शरीर में एकत्रित होकर weight में वृद्धि करने में सहायक होगा।
8. सर्वोत्तम आहार वही है, जो आपको पसंद हो, जीभ को अच्छा लगे, पाचन संस्थान ठीक से पचा सके और आहार खाने के बाद आप अपने आपको पूर्ण संतुष्ट समझें।
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9. भोजन कभी भी जल्दी-जल्दी न करें और न ही सुबह देर से उठें। भोजन जो भी खायें अच्छी प्रकार चबा-चबाकर खायें।
10. भोजन खाने के बाद 10-15 मिनट तक बिस्तर पर तनावरहित होकर लेटकर शरीर ढीला छोड़ दें। स्वास्थ्य सुधार, हृष्ट-पुष्ट होने के उद्देश्य से यह अवधि कम से कम 15 मिनट की होनी चाहिए।
11. अपने दिनचर्या में व्यायाम को स्थान अवश्य दें। लेकिन शीघ्र लाभ के लिए अधिक परिश्रम एकाएक करना उचित नहीं है। इस दृष्टि से शीर्षासन, भूमिपाद शिरासन आदि अधिक लाभदायक हैं, लेकिन कोई भी व्यायाम अपने कुशल प्रशिक्षक के निर्देशन में ही करना चाहिए अन्यथा शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।
12. खेल में बैंड-मिन्टन जैसे खेल अधिक अनुकूल है, जिसमें श्रम और विश्राम साथ-साथ लगे होता है।
Charbi Nahi Vajan Badhega, Bas Karen Ye Upay
13. कब्ज से मुक्त रहें। कब्ज अनेक रोगों का घर है। तेज जुलाब लेना भी उचित नहीं है। 2-4 चाय चम्मच कैस्टर आॅयल एरण्ड का तेल गर्म दूध में मिला कर रात को सोने से पहले पी लिया करें। यह योग हानिरहित कब्ज़नाशक है।
14. नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच दूध, क्रीम, पनीर, बादाम, अखरोट, मूंगफली, चिल्गोजे, फल, जूस आदि में से अपनी सुविधानुसार एक या एक से अधिक वस्तुयें लें। इसी प्रकार दोपहर के भोजन के बाद और रात के भोजन के बीच अपनी रूचि अनुसार इन्हीं वस्तुओं में से ले सकते हैं।
खान-पान के संबंध में विशेष निर्देश-
1. सब्जियों के सूप अवश्य लें।
2. दूध की मलाई या क्रीम अपनी रूचि के अनुसार आहार के साथ अवश्य लें।
3. दूध की बनी कोई वस्तू रूचि से खायें।
4. आप अपने दैनिक आहार में 1 अण्डा अवश्य लें। यदि पहले से 1 अण्डा नित्य ले रहे हैं, तो अब 2 अण्डे नित्य लें।
5. भोजन में घी के अतिरिक्त भी मक्खन अवश्य खायें।
6. खाने में सलाद अवश्य लें। कच्ची सब्जियां अधिक खायें।
7. रूचि के अनुसार क्रीम लें।
8. स्वीट डिश जैसे-कस्टर्ड या जेली में भी क्रीम मिलाकर खायें।
9. खट्टे फलों के स्थान पर मीठे फल खायें।
10. बिना छने आटे की रोटी खानी चाहिए।
11. तली-भूनी चीजों से परहेज करें, क्योंकि ये गरिष्ठ होती हैं, जिससे weight वृद्धि में रूकावट होती है।
मक्खन मसाला का योग-
धनिया, प्याज और ऐसी साबुत मिर्ची जो हरी से लाल हो चुकी हों, इन तीनों को सुखाकर कूट लें। इसमें थोड़ा काला नमक और थोड़ा साधारण नमक स्वाद अनुसार मिला लें। इस चूर्ण को मक्खन में मिलाकर मोटी रोटी पर चुपड़ लें। यही ‘मक्खन मसाला’ है। यह स्वादिष्ट और रूचिदायक है साथ ही लाभदायक भी। वैसे इसे पाचन शक्ति अनुसार कभी भी खा सकते हैं। सर्दियों में अवश्य खायें।
मक्खन शरीर के लिए पुष्टिकारक है। यह शरीर का विकास करता है। घी की अपेक्षा मक्खन अधिक उत्तम है। मक्खन ठंडा, तर और घी की अपेक्षा शीघ्र पचता है। हर प्रकार की गर्मी, खुश्की और कमजोरी को दूर करता है। वीर्य को बढ़ाता है, नेत्रों को ठंडक प्रदान करता है व शरीर को मोटा और हेल्दी बनाता है। काम करने की क्षमता प्रदान करता है। बाल, वृद्ध, स्त्री, पुरूष, युवक-युवती सबके लिए किसी भी आयु में अनुकूल है।
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