आयुर्वेद से दुबलापन भगायें, वजन बढ़ायें-
अत्याधिक मोटापा और दुबलापन दोनों ही व्यक्ति के स्वास्थ्य और व्यक्तित्व के लिए सही नहीं है। बहुत ज्यादा मोटा होने से व्यक्ति बेडौल और भद्दा दिखाई देता है, वहीं दुबला-पतला व्यक्ति भी चाहे कितने ही मंहगे और स्टाइलिश कपड़े क्यों न पहन ले, परन्तु फिर भी वह आकर्षक नहीं लगता और अपने दुबलेपन के कारण लोगों के बीच हंसी का पात्र ही बनकर रह जाता है।
दुबलेपन की आयुर्वेदिक चिकित्सा-
1. रोगन जैतून, काॅड लीवर आॅयल से अधिक लाभप्रद है। जिन स्त्रियों के शरीर में मांस कम होने लगे या स्त्री दुबली-पतली हो जाये तो रोगन जैतून का प्रयोग करें। यदि स्त्री इसे भी ना पी सके तो फलों के रस में मिलाकर दें।
2. शारीरिक कमजोरी और दुबलेपन में जैतून के तेल की मालिश करें। सर्दियों में जब सूर्य पूरी तेजी से चमक रहा हो तो जैतून के तेल से पूरे शरीर की मालिश करके रोगी धूप में बैठ जायें और शरीर में धूप लगने दें। दुबले-पतले भी इसके प्रयोग से मोटे हो जाते हैं।
3. सोंठ सत्व, काली मूसली और गोरखमुण्डी समान मात्रा में कूट छानकर समभाग मिश्री पीसकर मिला लें। 5-5 ग्राम नित्य दो बार दूध के साथ शीतकाल में लेने से शरीर मोटा हो जाता है।
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4. असगंध नागौरी और सफेद मूसली का चूर्ण समान मात्रा में मिला लें। 5-5 ग्राम दूध के साथ लेने से शरीर पुष्ट और सुडौल हो जाता है।
5. काले तिल एवं गोखरू प्रत्येक 10 ग्राम पानी में रात को भिगो दें। सुबह पीसकर कपड़े से निचोड़ लें। इसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन चाटें। यह एक पौष्टिक योग है। इसका प्रयोग शीतकाल में करें।
6. लौह भस्म(उत्तम) आवश्यकतानुसार लेकर लोहे की कढ़ाई में डालें, फिर उस पर जामुन का रस इतना डालें कि लौह भस्म में एक इंच ऊपर तक आ जाये। दो-तीन घंटे बाद थोड़ा पानी डालकर रख दें। एक सप्ताह के पश्चात् लोहे के दस्ते में इतना खरल करें कि भस्म बिल्कुल लतीफ हो जाये। इसे भलि-भांति खुश्क कर लेने के बाद इसी विधि से निम्न फलों के रस में कुछ दिन तक भिगोकर फिर खरल करें। जो फल प्रयोग करने हैं- तरबूज, नींबू, खट्टा अनार, संतरा, लोकाट, आलू बुखारा, फालसा आदि। आग देने की कोई आवश्यकता नहीं है। केवल इन बूटियों को पानी में भिगो कर धूप में रखने और फिर खरल करने से ही इतना बढ़िया कुश्ता फौलाद(लौह भस्म) तैयार हो जाती है, जो शरीरांश बनकर दुबले और रक्तहीन शरीर में भी शोषित होकर कुछ ही दिनों में सूखे मुर्दे शरीर में जान डाल देता है।
यह सफेद एवं रक्तहीन शरीर में कुछ ही दिनों में आशातीत परिवर्तन लाने में पूर्ण सक्षम है। यकृत की कमजोरी रक्ताभाव के साथ-साथ हाथ-पैरों एवं चेहरे आदि की सूजन, तलवों की जलन आदि में भी विशेष लाभदायक है। 2-4 मि.ग्रा. नित्य मक्खन या दही के साथ दें।
7. नित्य सुबह खाली पेट उड़द की दाल के लड्डू खाकर गुनगुना दूध पीने से शीघ्र ही शरीर हृष्ट-पुष्ट हो जाता है।
8. शतावरी चूर्ण 6-6 ग्राम नित्य सुबह-शाम दूध के साथ दें।
9. कच्ची गाजर नित्य निराहार खाना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।
10. पका केला नित्य सुबह दूध में मिलाकर खाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
11. असगंध नागौरी का चूर्ण 6-6 ग्राम घृत एवं चीनी में मिलाकर खाकर ऊपर से गुनगुना मिश्री मिला दूध नित्य सुबह-शाम पीने से शीघ्र लाभ होता है। इसके सेवन से शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है और लम्बाई में भी वृद्धि होती है। ठिगने(नाटे) कद वाले भी लम्बे हो जाते हैं।
12. बकरी का दूध 250 मि.ली., शहद 10 ग्राम, गाय का घी 20 ग्राम, काली मिर्च का कपड़छान चूर्ण 6 मि.ग्रा. तथा मिश्री 20 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम दें। शरीर कुछ ही दिनों में मोटा हो जाता है एवं शरीर रक्ताभाव(लालिमा) पूर्ण हो जाता है।
13. क्षीर बिदारी, बिदारीकन्द, दुद्धी, बला, क्षीर काकोली, सफेद बला, पीली बला, बन कपास और विधारा का क्वाथ 50 मि.ली. नित्य सुबह-शाम लेने से दुबला-पतला व्यक्ति मोटा हो जाता है।
Ayurved Se Dublapan Bhagayen, Vajan Badhayen
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14. काले तिल 20 ग्राम, बादाम की गिरी 1 नग, मुनक्का 1 नग, पीपल का आधा टुकड़ा, मावा 1 चम्मच और नारियल का बुरादा 1 चम्मच। सबको कूट-पीसकर अच्छी प्रकार मिला लें। रूचि के अनुसार मिश्री मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट खाकर दूध पी लें। यह योग शरीर को स्वस्थ और मोटा बनाने के साथ-साथ मस्तिष्क को भी शक्ति प्रदान करता है। इसका प्रयोग कम से कम दो माह तक अवश्य करें।
15. साबूदाना की खीर, आम, गाजर और कलेजी को प्रतिदिन आहार में लेने से शरीर मोटा हो जाता है।
16. तरबूज के बीज की गिरी 10-20 ग्राम प्रतिदिन खाते रहने से शरीर मोटा हो जाता है।
17. खजूर की गुठली निकाल कर शेष भाग को दूध में उबालें। गाढ़ा हो जाने पर गुनगुना नित्य सुबह एवं रात को सोने से पहले पीने से लाभ होता है।
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