वजन बढ़ाने की विधियां-
शरीर मोटा होने की अपेक्षा हल्का होना ज्यादा बेहतर है। लेकिना इतना हल्का भी न हो कि हवा आये, तो बंदा भी उड़ जाये। अस्थिपंजर पर मात्र त्वचा चढ़ी हो, युवावस्था में भी आंखें अंदर धंसी हो, यह भी हंसी का कारण बन जाता है। लोग मजाक उड़ाते हैं। ऐसे लोग अपने रिश्तेदारी और पार्टियों में जाने से भी कतराते हैं।
एक स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट शरीर वाले व्यक्ति को देखकर स्वयं भी अपने आपको कोसते हैं। दुर्बलता के शिकार लोग बराबर वजन बढ़ाने के लिए चिंतित रहते हैं। अवैज्ञानिक विधि से अनाप-शनाप औषधि खाकर थोड़ा अंतर पाते भी हैं, तो औषधि सेवन के बाद फिर वहीं ढ़ाक के तीन पात।
अतः उन्हें निम्न प्राकृतिक चिकित्सा करनी चाहिए।
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1. उपचार के पारम्भ में 2-3 दिन केवल फल खायें।
2. फलों के साथ-साथ गेहूं के आटे की चोकरयुक्त रोटी 100 ग्राम तक भी खायें। अन्यथा केवल फल खाने से कब्ज़ हो सकती है। इस प्रकार फलाहार से भूख अधिक लगती है, पाचन क्षमता बढ़ती है तथा स्थायी रूप से कब्ज़ दूर हो जाती है।
3. आहार में वृद्धि का अनुपात 25 प्रतिशत हो या 50 प्रतिशत, शरीर में विकास की दर लगभग समान होती है, क्योंकि फलाहार कम के बाद भोजन अवशोषण की क्षमता आंतों में समान रूप से आ जाती है। खाया-पीया शरीर में समान रूप से लगने लगता है। आमाशय की कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है।
4. अनुभवों से ज्ञात हुआ है कि जिनके भोजन में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, उनके वजन में प्रति सप्ताह 1 से 1.5 किलो तक की वृद्धि हुई है।
5. श्वेतसार(कार्बोहाइड्रेट) आटा, चावल, शहद, किशमिश, मुनक्का, अंजीर, खजूर, मक्खन, घी, तेल आदि वजन बढ़ाने में श्रेष्ठ हैं। यदि उचित मात्रा में लिये जायें तो आसानी से पच जाते हैं।
6. प्रारम्भ में कुछ दिन तक चिकनाई की अपेक्षा श्वेतसार(कार्बोहाइड्रेट) से अधिक वजन बढ़ाता है। उदाहरण के लिए यदि चिकनाई 50 ग्राम अधिक खायी जाये, तो वजन 50 ग्राम ही बढ़ेगा। लेकिन श्वेतसार या मीठा 50 ग्राम अधिक खाया जाये, तो वजन में 200 ग्राम की वृद्धि(चार गुना) होगी।
Vajan Badhana Hai To Karen Ye Prakritik Upchar
7. अधिक का अर्थ- जितने आहार लेने से शरीर के वजन में कमी न आये, इसे हम सामान्य आहार कहते हैं। इस अपेक्षित सामान्य आहार की मात्रा से अधिक 50 ग्राम चिकनाई या 50 ग्राम श्वेतसार की जानकारी ऊपर दी गई है।
8. फल, चावल, आटा, ताजी हरी सब्जियां, पके केले, मेवे, मक्खन, घी, तेल, दूध आदि को खाना चाहिए। अगर वजन बढ़ाना है, तो इनको आहार में स्थान अवश्य देना चाहिए।
9. अंकुरित गेहूं का दलिया विशेष उपयोगी है। यह अंकुरित गेहूं को पीसकर दूध में या सादा ही बनाया जा सकता है। यह वजन बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होता है।
10. वजन बढ़ाने के लिये सवेरे उठते ही और रात को सोने से ठीक पहले, भोजन से एक घंटा पहले और भोजन के 2 घंटे बाद पर्याप्त मात्रा में पानी अवश्य पीना चाहिए।
11. खुली हवा में सोना, भ्रमण करना, हल्के व्यायाम करना, हर सप्ताह 1 दिन उपवास करना बहुत ही लाभदायक है। जो रोगी हर तरह से निराश को चुके हों, वजन नहीं बढ़ रहा हो, इन निर्देशों का पालन करें, चमत्कारिक लाभ देखने को मिलेगा। कायाकल्प हो जायेगा। चाहें तो निम्न योगों को भी अपनायें।
12. असगंध नागौरी(मोटा वाला) का चूर्ण 2 से 5 ग्राम घी और शक्कर में मिलाकर चाटकर मिश्री मिला गर्म-गर्म दूध पी लें।
13. गेहूं के आटे की रोटी गर्म दूध में मसल कर खायें।
14. पका केला दूध में मिलाकर खायें।
15. अनार का रस 4 चाय चम्मच(20 मि.ली.) नित्य सुबह खाली पेट पीने से 2-3 माह में दुबलापन दूर हो जाता है। इससे हृदय को बल मिलता है और हिचकी बंद हो जाती है। जलन, बेचैनी और घबराहट आदि भी दूर हो जाती है। भरोसे के साथ प्रयोग करें।
16. मुलेहठी का चूर्ण 5 ग्राम, घी आधा चाय चम्मच और शहद 1.5 चाय चम्मच मिलाकर चाटकर ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा दूध पीने से शरीर हृष्ट-पुष्ट एवं शक्तिशाली हो जाता है।
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